स्तनपान
एवं पोषण छह महीनों तक केवल स्तनपान जीवन की बेहतरी शुरूआत

स्तनपान:-
शिशु जन्मे के पश्चांत स्तनपान एक
स्वांभाविक क्रिया है। NFHS 4 के अनुसार राजस्थान में 28.4
प्रतिशत शिशुओं को जन्म के 1 घंटे के अन्दर स्तनपान कराया
जाता है तथा 58.2 प्रतिशत बच्चों को 6 माह तक केवल स्तनपान
कराया जाता है. स्तरनपान के बारे में सही ज्ञान के अभाव
में बच्चों में कुपोषण का रोंग एवं संक्रमण से दस्त हो जाता
है।
मॉं
का दूध सर्वोतम
आहार:-
- केवल स्तनपान से मतलब है की जन्म
होते ही शिशु कोई अतिरिक्त आहार, पानी या कोई अन्य तरल
पदार्थ ना ले (शिशु दवाईयां तथा विटामिन इत्यादि ले सकता
है यदि डॉक्टर द्वारा दिए गए हों तो )
- मॉं के दूध में काफी मात्रा में
पानी होता है जिससे छः माह तक के बच्चे की पानी की आवश्यरकताऍं
गर्म और शुष्कर मौसम में भी पूरी हो सके।
- मॉं के दूध के अलावा बच्चेा को
पानी देने से बच्चे् का दूध पीना कम हो जाता है और संक्रमण
का खतरा बढ जाता है।
- प्रसव के आधे घण्टे के अन्दर-अन्दर
बच्चे के मुंह में स्तन देना चाहिए।
- ऑपरेशन से प्रसव कराए बच्चों को
जल्द से जल्द जैसे ही मॉं की स्थिति ठीक हो जाए, स्तन
से लगा देना चाहिए।
प्रथम
दूध (कोलोस्ट्रम):-
- प्रथम दूध (कोलोस्ट्रकम) यानी
वह गाढा, पीला दूध जो शिशु जन्मं से लेकर कुछ दिनों (
4 से 5 दिन तक) में उत्पन्नय होता है, उसमें विटामिन,
एन्टी बॉडी, अन्यट पोषक तत्व अधिक मात्रा में होते हैं।
- यह संक्रमणों से बचाता है, प्रतिरक्षण
करता है और रतौंधी जैसे रोगों से बचाता है।
- स्तनपान के लिए कोई भी स्थिति,
जो सुविधाजनक हो, अपनायी जा सकती है।
- कम जन्म भार के और समय पूर्व उत्पन्न
बच्चे भी स्तनपान कर सकते हैं।
- यदि बच्चा स्तनपान नहीं कर पा रहा
हो तो एक कप और चम्मच की सहायता से स्तन से निकला हुआ
दूध पिलायें।
- केवल स्तनपान शिशु के विकास व स्वस्थ्य
रहने में सर्वोत्तम अवसर प्रदान करता है
- यह अधिक दूध बनने में सहायता करता
है, अन्य आहार या तरल पदार्थ आदि देने से शिशु द्धारा
लिए जाने वाले माँ के दूध की मात्र में कमी आती है जिसके
कारण माँ में दूध बनने की प्रक्रिया मंद पड जाती है
- बोतल से दूध पीने वाले बच्चों को
दस्त रोग होने का खतरा बहुत अधिक होता है अतः बच्चों को
बोतल से दूध कभी नहीं पिलायें।
- बच्चों को पशुओं से प्राप्त दूध
को पचाने में कठिनाई होती है, पशुओं से प्राप्त दूध से
दस्त, लाल चकत्ते या कई प्रकार की एलर्जी हो सकती है
- शिशु का पेट छोटा होता है अतः शिशु
द्धारा दूध की मांग करते ही उसे दूध पिलाया जाए, 24 घंटे
में कम से कम 8 से 12 बार, दिन या रात में उसे पर्याप्त
पोषण दिए जाने के लिए यह आवश्यक है
6
माह पश्चात उपरी आहार
11. यदि बच्चा 6 माह
पूर्ण का हो गया हो तो उसे मॉं के दूध के साथ- साथ अन्य
पूरक आहर की भी आवश्यकता होती हैं।
12. इस स्थिति में स्तनपान के साथ-साथ अन्यो घर में ही बनने
वाले खाद्य प्रदार्थ जैसे मसली हुई दाल, उबला हुआ आलू, केला,
दाल का पानी, आदि तरल एवं अर्द्व तरल ठोस खाद्य प्रदार्थ
देने चाहिए, लेकिन स्तनपान 11/2 वर्ष तक कराते रहना चाहिए।
13. यदि बच्चा बीमार हो तो भी स्तनपान एवं पूरक आहार जारी
रखना चाहिए स्तनपान एवं पूरक आहार से बच्चे के स्वास्थ्य
में जल्दी सुधार होता है।

बच्चों
के लिए आहार (6 से 12 महिनें):-
- स्तनपान के साथ-साथ
बच्चों को अर्धठोस आहार, मिर्च मसाले रहित दलिया/खिचडी,
चॉंवल, दालें, दही या दूध में भिगोई रोटी मसल कर दें।
- एक बार में एक ही प्रकार
का भोजन शुरू करें।
- मात्रा व विविधता धीरे-धीरे
बढाऍ।
- पकाए एवं मसले हूए आलू,
सब्जियॉं, केला तथा अन्य फल बच्चे को दें।
- शक्ति बढाने के लिए
आहार में एक चम्माच तेल या घी मिलाएं।
- स्तनपान से पहले बच्चे
को पूरक आहार खिलाएं।
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