टीके
बहुत नाजुक जैविक पदार्थ है जो धीरे धीरे कमजोर होते
जाते है अर्थात रोगो को रोकने की उनकी क्षमता कम होती
जाती है। यह कमजोर होने की प्रकिया तब बहुत तेज हो जाती
है। जब टीकों का तापमान बताई गई सीमा को पार कर जाता
है। यदि टीकों को उचित तापमान पर रखा जावे तो उनकी क्षमता
लम्बे समय तक बनी रहती है। इन्हीं कारणों से
टीकों को निर्धारित समय सीमा मे निश्चित रूप से प्रयोगकर
लेना चाहिये।
अति संवेदनशील टीकेः
1.पोलियो
2.खसरा
3.डी.पी.टी.
4.डी.टी.
कम संवेदनशील टीकेः
1.बी.सी.जी.
2.टी.टी.
कुछ
टीके कम तापमान के प्रति सवेदनशील होते है। अतः डी.पी.टी.,
डी.टी. तथा टी.टी. के टीकों को (जिन्हें टी.सीरिज टीके
भी कहते है ) जमने नही देना चाहिए। यदि ये टीके जम जाये
तो टीकों की क्षमता समाप्त हो जाती है। खसरे तथा बी.सी.जी.
के टीके तेज प्रकाश के प्रति भी बहुत सवेदनशील होते
है। इसलिए इनके ऊपर धूप कदापि नही पडनी चाहिए। अतः जहां
तक सम्भव हो, इन्हे अंधेरे मे रखना चाहिए।
उत्पादन
स्थल से गर्भवती महिला और बच्चे तक पहुंचने के दौरान
टीकों को ठन्डा रखने वाले साजो-सामान और लोगो से शीत-श्रृंखला
बनती है।
शीत-श्रृंखला प्रणाली के निम्न
तीन मुख्य घटक है:-
1. व्यक्ति
- उपकरणो का उपयोग एवं देखभाल करते है तथा स्वास्थ्य
सेवायें प्रदान करते हैं।
2.उपकरण-
सुरक्षित भंडारण एवं टीकों के लाने ले जाने के उपयोग
मे आते हैं।
3.प्रकिया-
टीकों के तवरण तथा उपयोग पर नियंत्रण एवं कार्यक्रम
की व्यवस्था में अपनायी जाने वाली प्रकिया।
सभी
टीके निश्चित अवधि के बाद अपनी क्षमता खो देते है, भले
ही उन्हे सावधानी से क्यो न रखा गया हो टीकों की अतिम
तारीख शीशी के ऊपर छपी होती है।
याद रखने योग्य बिन्दुः
1. अंतिम
तारीख के बाद टीके इस्तेमाल नही करने चाहिए।
2गर्मी,
धूप और जमाव से टीके खराब हो जाते हैं।
3. जमने
के कारण टी सीरिंज के टीके खराब हो जाते है।
4. एक
भंडार से दूसरे भंडार तक पहुंचाते समय टीकों को ठंडक
मे उचित तापमान पर रखा जाना चाहिए
तभी टीके स्वास्थ्य केन्द्र तक सही हालत
मे पंहुच सकते हैं।
सभी स्वास्थ्य केन्द्रो मे
दो तरफ के शीत-श्रृंखला उपकरण रखे गये है: -
1.बर्फ
के अस्तर वाले रेफ्रिजरेटर (आई.एल.आर.)
इस रेफ्रिजरेटर
मे तापमान +2 डिग्री सेन्टीग्रेड रहता है जिससे टीकों
का भण्डारन किया जाता है। कई बार ठन्डे होने
के बाद ये रेफ्रिजरेटर 24 घन्टो मे 8 घन्टे बिजली
मिलने पर भी टीकों का सुरक्षित भंडारन कर सकते है। इस
रेफ्रिजरेटर का निचला तल सबसे ठन्डा होता है
इसलिए टी सिरीज के टीकों को नीचे नही रखना चाहिए अन्यथा
जम कर खराब हो जावेगे। इन टीकों का रेफ्रिजरेटर के साथ
दी गई टोकरी मे रखना चाहिए।
यद्यपि
रेफ्रीजरेटर मे थर्मामीटर लगा होता है फिर भी एक थर्मामीटर
प्रतिदिन तापमान दर्ज करने के लिए रखा जाना चाहिए एवं
उसी से तापमान रिकार्ड करना चाहिए।
2. डीप-फ्रीजर
डीप
फ्रीजर का इस्तेमाल खसरे एव पोलियो के टीकों के भण्डारण
एंव आइस पैक्स याद रखने योग्य बातेः-
1. दरवाजे
को बार-बार नही खोलना चाहिए।
2. टीके
वाले रेफ्रीजरेटर मे खाने पीने की कोई चीज नही रखनी
चाहिए।
3. एक
महीने की जरूरत से ज्यादा टीके नही रखने चाहिए।
4. जिन
टीकों की अवधि समाप्त हो चुकी है अथवा खराब हो चुके
है उन्हे रेफ्रीजरेटर मे नही रखने चाहिए।
5. अगर
तापमान 8 डिग्री से ज्यादा या 2 डिग्री से नीचे चला
जाये तो तुरन्त अधिकारी को सूचित करना चाहिए।
टीकों के परिवहन के लिए शीत
-श्रृंखला व्यवस्था
टीकों
को रेफ्रीजरेटर /डीप फ्रीजर से बच्चे या मां तक जिन्हे
टीका लगाना है पहुंचते वक्त पूरे समय ठंडे मे रखने
के लिए टीके केरियरो का इस्तेमाल किया जाता है।
1. टीका
वैक्सीन केरियर
इन केरियरो
की दीवारे ओर ढक्कन मोटे होते है तथा एक खास प्रकार
के पदार्थ से बने होते है जो ताप को अन्दर जाने नही
देते है। इन केरियरो मे 4 जमे हुए आइस पैक्स रखे जाते
है जो टीकों को निश्चित तापमान पर ठंडा रखते है। इन
केरियरो को सामान्यतः 24 घन्टो तक टीकों को ठंडा रख
सकते है और 15 - 20 शीशियां ले जायी जा सकती है।
2. एक
दिवसीय केरियर
ये केरियर
छोटे होते है जिनमे केवल दो की आइस पैक्स रखे जा सकते
है इनमे सामान्यतः 6-8 शीशियां ले जायी जा सकती है
और 6-8 घन्टे तक वैक्सीन को ठन्डा रखा ता सकता है।
याद रखने योग्य बिन्दुः-
- टीका केरियर को धूप
मे नही रखना चाहिए।
- ढक्कन खुला नही
छोडना चाहिए।
- इन पर न तो बैठना
चाहिए और न ही ऊपर से गिरना
चाहिए।
- केरियरर्स को साफ व
सूखा रखना चाहिए।
- जमे हुये आइस पैक्स
को ही इस्तेमाल करे ओर जब तक
आइस पैक्स मे थोडी भी आइस
रहती है, केरियर को काम मे लिया
जा सकता है बर्फ पूर्णतः
पिघलते ही टीकों को
स्थानान्तरित करना चाहिए।
आइस पैक्स
आइस
पैक्स टीका केरियर को ठंडा रखने के लिए उसकी दीवारों
पर लगाने मे काम लिया जाता है यह प्लास्टिक की चपटी
बोतले होती है। जिनमे पानी भरा होता है। इनको जमाने
के लिये डीप फ्रीजर का इस्तेमाल किया जाता है।
आइस
पैक्स तैयार करना
1. आइस
पैक्स मे निशान तक पानी भरे तथा ढक्कन कसकर बन्द
कर दे।
2.इसे
पलटकर या हिलाकर देख ले की कही से पानी तो नही रिस रहा
है अगर अच्छी तरह ढक्कन बन्द करने के बाद भी पानी
रिस रहा है तो उस आइस पैक्स को काम मे न ले।
3. इसमे
नमक बिलकुल भी नही मिलाना चाहिए।
4.डीप
फ्रीजर की तली मे आइसपैक्स को सीधे रखना चाहिए।
5. पूरी
तरह जमने के बाद ही इनको काम मे लेने चाहिए।
वैक्सीन केरियर तैयार करना
1. पहले
तय करे की किस किस टीके की कितनी शीशियां रखनी है। खसरे
और बी.सी.जी.की प्रत्येक शीशी के लिये एक अवमिश्रण
(डायल्यूएन्ट) ले।
2. वैक्सीन
केरियर खोले और उसे साफ कपडे से साफ करे अगर गीला
हो तो उसे सुखा ले। दरारो के लिये अवरोधक की जांच करे।
3. चार
जमें हुये आइस पैक्स बने हुये आइस पैक्स के खाचों
मे सेट करें।
4. ढक्कन
को कसकर लगाकर देखे ढक्कन सही तरह से फीट होना
चाहिए एव हवा के लिये आने जाने के लिये जगह न हो।
5. सबसे
पहले व टीके निकाले जिन्हे आप पिछले टीकाकरण सत्र मे
ले गये थे एवं इस्तेमाल नही कर पाये थे।
6.इसके
बाद उन टीकों को निकाले जिनकी समाप्ति की तारीख नजदीक
है।
7. इसके
बाद उन टीकों को निकाले जो आपके पास सबसे ज्यादा समय
से रखे हो।
8.सबसे
पोलियो एव खसरे के टीकों को रखें।
9.डी.पी.टी.
डी.पी. ओर टी.टी के टीकों के बीच और टीकों तथा आइस पैको
के बीय अखबार या गत्ता रखे इनको आइस पैक्स से
न छुने दे क्योंकि से जम सकते है ओर खराब हो सकते है।
हो सके तो टी-टी के पोलियो और खसरे के टीकों के मध्य
मे रख।
10.अवमिश्रण
को सबसे बाद मे रखे और जब तक टीके लगाने नही हो, उनका
घोल तैयार नही करे घोल तैयार करने के उपरान्त
4 से 6 घन्टो मेटीके लग जाने चाहिए।
11.ढक्कन
कसकर बन्द कर दे।
12.
वैक्सीन केरियर को बार बार न खोले एव सदैव छाया मे
ही रखें।
13.
आइस पैक्स को किसी भी हालत मे वैक्सीन केरियर से बाहर
नही निकाले।
जिलो
मे टीकों का भन्डारण एव स्वास्थ्य केन्द्र तक परिवहन।
टीकों
को जिला स्तर पर भन्डारण के लिये शीत-श्रृंखला उपकरण
काम मे लिये जाते है उन्हे वाक इन फ्रीजर और
इन्हे वाक-इन-कूलर्स कहते है।
जिलो
मे स्वास्थ्य केन्द्र तरह परिवहन के लिये वैक्सीन
वाहन काम मे लिये जाते है।
कोल्ड बॉक्स
टीकों
को तापमान मे सुरक्षित रखने के लिये कोल्ड बाक्स का
उपयोग होता है। सामान्यतयाः कोल्ड बॉक्स 22
लीटर व 5 लीटर की क्षमता मे आते है। जिससे तली मे व
साइड मे जमे हुए आइस पैक्स लगे होते है। टीकों को डिब्बों
अथवा पोलीथीन की थैली मे रखकर ही कोल्ड बाक्स मे रखी
जानी चाहिए। टी - सिरिज के टीकों को आइस पैक्स सीधे
सम्पर्क मे नही रखना चाहिए बल्कि इन्हे चारो तरफ से
पोलियो के टीके की वायल्स के घेर देना चाहिए। सडक परिवहन
मे काम मे लेते वक्त कोल्ड बाक्स को अच्छी तरह से
पैक कर देना चाहिए। जिससे शीशियों आपस मे टकरा कर टुट
न जावें। पैक करने हेतु थर्मोकोल काम मे लिया जा सकता
है। पैक करने के बाद काल्ड बॉक्स का ढक्कन अच्छी
तरह से बन्द कर देना चाहिए जिससे सामान्यतः टीके 6
दिन सुरक्षित रह सकते है
टीकों के तापमान का अनुश्रवण (मोनीटरिंग)
यह ज्ञात करने के लिये
कि टीकों का तापमान अनुपातन सही है अथवा नही, उत्पादनकर्ता
क्षरा सीधे ही प्रत्येक पोलियो वैक्सीन वायल पर एक
मोनीटर लगा दिया जाता है। जिसे वी.वी.एम कहते है। वैक्सीन
वायल मोनीटर ऊष्मा संवेदनशील पदार्थ से बना होता है।
ये एक छोटे वर्ग के आकार का होता है। जो कि पोलियो की
टीके की वायल के लेबल पर छपे हुए रंगीन गोल आकृति पर
चिपका दिया जाता है। समय ओर तापमान मे संयुक्त असर
से वे वी.वी.एम. का रंग शनैः शनैः बदलता है जो कि हल्के
से गहरे रंग मे ऊष्मा के असर से परिवर्तित हो जाता
है। एक बार गहरा हो जाने के बार यह पुनः परिवर्तित नही
होता। बाहरी रंगीन गोले के एक मोनीटर के रंग से तुलना
करने पर किया जाता है।
वी.वी.एम. के अन्दर के वर्ग
के गहरेपन की तुलना बाहर के गोले से करें
1. यदि
अन्दर के वर्ग का सफेद रंग बाहर के गोले से हल्का
है। तब टीके को उपयोग मे लाये जा सकता है यदि टीका अवधि
पार न हुआ है।
2.यदि
अन्दर के वर्ग का रंग बदल गया है परन्तु अभी भी बाहर
के गोले से हल्का है ओर टीका अवधि पार नही हुआ हो तो
टीके का उपयोग किया जा सकता है।
3.यदि
अन्दर के वर्ग का रंग बाहर के गोले के समान है, तब
टीके को उपयोग मे नही लाना चाहिए
यदि
टीकों की कालातित अवधि मिट गई हो और वी.वी.एम. सही हो
तो भी टीके को काम मे नही लाना चाहिए।
शीत-श्रृंखला उपकरणो का रख रखाव
1. किसी भी शीत-श्रृंखला
उपकरणो को साफ ,हवादार कमरे मे, जहां सीधे धूप नही आ रही है, ऐसे
स्थान पर रखना चाहिए।
2. कम से कम15 से 20 सेमी की
खुली जगह चारो तरफ रहनी चाहिए
,जिससे चारो तरफ हवा का प्रवाह
बना रहे।
3.बिना वोल्टेज
स्टेब्लाइजर के किसी भी शीत-श्रृंखला को चालू नही करना
चाहिए।
4.बिजली का प्लग उपकरण
केपास ही लगा हो ओर कही भी तार, पिन अथवा सर्किट, ढीला न हो
अन्यथा शोर्ट सर्किट होकर आग
लग सकती है।
5.उपकरणो को हमेशा समतल जगह पर रखने चाहिए, जिससे
कूलिंग गैस का प्रवाह सुचारू
रूप से हो हो सके तो एक लकडी के
तख्ते पर उपकरण को रखे, जिससे
फर्श की नमी उपकरण को नुकसान न
पहुंचायें।
6. दिन मे कम से कम दो बार
तापमान रिकार्ड करे यदि
तापमान कम अथवा ज्यादा हो तो
थर्मोस्टेट से सेट करे।
7.सप्ताह मे एक बार
उपकरण के ढक्कन का खोलकर उसकी
सीलन को साफ करे ओर देखे कि
दीवारों मे बर्फ की परत 1 सेमी से
ज्यादा मोटी तो नही है। यदि
मोटी परत पायी जाये तो
रेफ्रिजरेटर / डीप फ्रिज को डी-फास्ट करे ।
8. महिने मे एक बार
कम्प्रेसर के कवर को खोलकर
ब्रुश से साफ करें एंव उसके
फाउण्डेशन बोल्ट को चैक करें ।
9. यदि उपकरण मे कोई
अतिरिक्त आवाज आती है तो
तुरन्त उपकरण को बन्द कर दे
और रेफ्रिजरेटर मैकेनिक को
सूचित करें।
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