स्थायी एवं कारगर:-
महिलायें जब आगे और
बच्चें नहीं चाहती है तो उनके लिये कारगर और स्थाई
है 'महिला नसबन्दी'। किसान जैसे किसी
क्यारी में और पानी नहीं जाने देने के लिये पानी के
धोरे को मिट्टी या डाटा लगाकर बन्द कर देता है। उसी
तरह डाक्टर महिला की दोनों तरफ की अण्डा ले जानी वाली
डिम्बवाहिनी (फेलापियन ट्यूब) नली को थोडा काटकर या
छल्ला लगा कर डिम्ब (स्त्री अण्डा) का रास्ता रोक
देते है। जिससे फिर कभी भी गर्भवती नहीं होती है।
आजकल
विज्ञान की प्रगति से महिला नसबन्दी आसान और तुरन्त
किया जा सकने वाला तरीका हो गया है। हमारे यहॉं तीन
मुख्य तरीके महिला नसबन्दी के अपनाये जाते हैं। सभी
तरीके कारगर हैं परन्तु महिला की परिस्थिति एवं समय
के अनुसार इनका अलग-अलग महत्व है।
1. परम्पागत
नसबन्दी:-
यह तरीका कभी भी अपनाया
जा सकता है। परन्तु प्रसव के 72 घण्टे बाद इस तरीके
से ऑपरेशन सुविधाजनक होता है। इस समय महिला अस्पताल
में ही होती है और इस तरीके से नसबन्दी कराने पर 6
दिन तक अस्पताल में रहना पडता है। प्रसव के बाद महिला
को कुछ दिन के आराम जरूरी है। महिला को ऑपरेशन के लिये
अलग से आराम के लिये समय की जरूरत नहीं पडती है।
2. मिनी
लैप:-
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इस तरीके से ऑपरेशन
में 10 से 20 मिनट का समय ही लगता है।
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इससे
बहुत छोटा चीरा लगाया जाता है।
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अस्पताल
में भी केवल 24 घण्टे ही रहने की जरूरत है।
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यह
शिशु के जन्म के बाद भी सम्भव है, वैसे किसी भी
समय इस तरीके से ऑपरेशन कराया जा सकता है।
3. दूरबीन
नसबन्दी (लपरोस्कोप):-
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इसमें सबसे कम समय 5 से 10 मिनट ही
लगते हैं।
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अस्पताल में रहने का समय बहुत ही
कम, केवल 6 से 8 घण्टे ही जरूरी है।
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केवल टांका ही लगाया जाता है और उसका
भी निशान नहीं रहता है।
सुरक्षित:-
महिला नसबन्दी बिल्कुल
सुरक्षित है, जिससे महिला में स्वस्थ्य एवं सुरक्षित
जीवन जीने की सम्भावना कई गुना बढ जाती है और वह स्वस्थ्य
जीवन गुजार सकती है।
सुविधा:-
सरकारी अस्पतालों,
परिवार कल्याण केन्द्रों व चिकित्सा एवं परिवार कल्याण
विभाग द्वारा लगाये गये शिविरों में इसकी मूल सुविधा
दी जाती है।
महिलाओं
के मन में उठने वाले सवाल व उत्तर:-
क्या ऑपरेशन के
बाद महिला की काम करने की इच्छा पर असर पडता है?
नहीं, इससे
काम ग्रंथी को नहीं छोडा जाता है। महिला के मासिक
धर्म भी पहले जैसे आता है। डिम्ब भी बनता है। हॉं,
महिला गर्भवती नहीं हो सकती।
क्या
ऑपरेशन तकलीफदेय होता है?
नहीं, ऑपरेशन
के समय दर्द नहीं होता हो उसका इन्तजाम सुन्न की सुई
लगाकर कर दिया जाता है।
क्या
महिला, ऑपरेशन के बाद मोटी हो जाती है?
नहीं, यह सच
नहीं है। हो सकता है कि अब और बच्चे जनने की चिन्ता
दूर हो जाने से उसका स्वास्थ्य और सुधर जाये।
क्या
ऑपरेशन के बाद महिला गर्भवती हो सकती है?
नहीं, यह स्थायी
और कारगर साधन है। यदि महिला ऑपरेशन के बाद गर्भवती
होती है ता उसका कारण होता है।
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महिला
का पहले से ही गर्भवती होना।
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फेलोपियन
नली की पहचान में डाक्टर से गलतीं
क्या
नस दुबारा जोडी जा सकती है?
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हॉं, यह
सम्भव तो है परन्तु यह काम आसान नहीं है।
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इसकी
सफलता भी निश्चित नहीं है।
क्या
नसबन्दी के बाद कमर यां पॉंव में दर्द होता है?
नहीं, ऑपरेशन
के कारण किसी भी प्रकार की तकलीफ नहीं होती है। अगर
कमर या पॉंव में दर्द होता है तो वह किसी अन्य बीमारी
के कारण होता हो सकता है इसलिये डाक्टर को दिखा देना
चाहिए।
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