मस्तिष्‍‍क ज्‍वर (मेनिनजाईटिस)

मस्तिष्‍क ज्‍वर मेनिनजाईटिस एक बहुत खतरनाक संक्रामक रोग है जो किनाईसिरिया मेनिनजाईटिस (मेनिनगोकोकल) नामक जीवाणु के शरीर मे प्रवेश पाने और पनपने के कारण होता है। मस्तिष्‍क और रीड की हड़डी मे रहने वाली नाडियो की झिल्‍ली पर सूजन आ जाती है। यह रोग पूरे वर्ष होता रहता है।  इसमे आप चलन भाषा मे गर्दन तोड बुखार भी कहते है।

रोग कैसे फैलता है

मरीज से सीधे सम्‍पर्क मे आने के तथा या उसके थूक अथवा छींक द्वारा सांस के माध्‍यम से यह रोग एक दूसरे व्‍यक्ति मे फैलता है। रोग के जीवाणु के शरीर मे प्रवेश करने के 3-4 दिन के पश्‍चात रोग के लक्षण प्रकट को जाते है। रोग उन व्‍यक्तियो द्वारा भी फैल जाता है जिनके नाक व गले मे इस बीमारी के जीवाणु बिना रोग उत्‍पन्‍न किये मौजूद रहते है। ये व्‍यक्ति प्रत्‍यक्ष रूप से स्‍वस्‍थ होते है, किन्‍तु इनके खांसने अथवा छींकने से रोग के जीवाणु वायुमण्‍डल मे प्रवेश पा जाते है एवं श्‍वांस द्वारा अन्‍य व्‍यक्ति मे प्रविष्‍ट होकर रोग उत्‍पन्‍न करते है। 

लक्षण  -

1. तेज बुखार के साथ, तेज सिर दर्द एवं जी मचलना उल्टियां इस बीमारी के प्रमुख लक्षण है।

2. लक्षणो के अचानक प्रकट होना एवं रोगी की दशा मे तेजी की गिरावट आना इस बीमारी की विशेषता है।

3. एक स्‍वस्‍थ व्‍यक्ति को अचानक तेज बुखार, सिर दर्द एवं उल्टिया होने पर इस बीमारी का संदेह होना आवश्‍यक है।

इसके अलावा गर्दन जकडना एवं शरीर पर लाल रंग के चकते पडना भी इस बीमारी के प्रमुख लक्षण है। 

रोग का प्रभाव -

शीघ्र उपचार ने होने पर रोगी की दशा तेजी से बिगड‍ती है।  कुछ ही घन्‍टो मे रक्‍तचाप तेजी से गिर जाता है और नब्‍ज कमजोर पड जाती है। रोगी बेहोशी की अवस्‍था के चला जाता है। इस बीमारी के लक्षणों का क्रम इतनी गति से चलता है कि शीध्र निदान एवं उपचार ही रोगी का इस जानलेवा बीमारी से बचा सकता है।

रोग किसको प्रभावित करता है ?

यह रोग किसी भी आयु वर्ग को प्रभावित कर सकता है लेकिन प्रकोप मुख्‍यतयाः बच्‍चो एवं किशोर वर्ग पर काफी अधिक होता है। घनी आबादी वाली गन्‍दी बस्तियो, जिनमे तंग मकानों मे अधिक लोग रहते है छात्रावास, बैरक एवं शरणार्थी शिविरों मे यह बीमारी तेजी से फेलती है। 

बचाव के उपाय -

बचाव ही सर्वोत्‍तम उपचार है ऐसे घातक रोग से बचना ओर इसके प्रसार को रोकना सम्‍भव है।

1. भीड-भाड से यह रोग फेलता है अतः यथा सम्‍भव भीड-भाड वाले स्‍थानों से बचना चाहिए।

2. घरो के कमरों में शुद्व ताजा हवा व प्रकाश आने की समुचित व्‍यवस्‍था होनी चाहिए।

3. चूकि यह संक्रामक रोग है अतः रोगी को अलग रखना बहुत जरूरी होना चाहिए।

4. रोगी के नाक मुंह या गले से निकलने वाले स्‍ञाव को उसके मुंह व नाक पर साफ कपडा रख कर, सम्‍पर्क मे आने वाले व्‍यक्तियो को रोग की छूत से बचाया जा सकता है। 

5. रोगी की देखभाल करने वाले व्‍यक्तियो की भी छूत से बचाव हेतु अपने मुंह एवं नाक पर साफ कपडा रखना चाहिए। 

6. रोगी के परिवार ओर सम्‍पर्क मे आने वाले कोट्राईमोक्‍साजोल (सेप्‍ट्रान) की गोलिया का सेवन कर रोग से बच सकते है। वयस्‍क को दो गोली सुबह शाम, पाच वर्ष तक के बच्‍चो के लिए 1/2 गोली सुबह व शाम, स्‍कुल जाने वाले बच्‍चो को 1 गोली सुबह व शाम चार दिन तक नियमित रूप से लेनी चाहिए।  ये औषधियां चिकित्‍सक की सलाह से लेनी चाहिए।

7. रोगी के निरन्‍तर निकट सम्‍पर्क मे रहने वाले चिकित्‍सको एवं पेरामेडिकल कर्मचारियो को मस्तिष्‍क ज्‍वर निरोधक टीका लगवाना उपयोगी है  इस टीके स 5-7 दिन मे रोग निरोधक क्षमता पैदा हो जाती है।

बीमारी को तत्‍काल रोकने हेतु कार्यवाही-

किसी भी रोगी को मे बीमारी के लक्षण पाये जाने पर रोग की जांच व निदान की तुरन्‍त व्‍यवस्‍था कराये। जांच उपरान्‍त बीमारी पाये जाने पर उनके परिवार जनो एवं सम्‍पर्क मे आने वाले व्‍यक्तियो को क्रोमोप्रोफाइलेक्सिस उपचार लेने हेतु जानकारी दी जावें।

बीमार से चिन्हित क्षेत्रों मे प्रभावी नियन्‍त्रण एवं रोकथाम की कार्यवाही करनेरेपिडरेस्‍पोन्‍स टीम आवश्‍यक दवाईयों तथा उपकरणो के साथ अविलम्‍ब भिजवाये तथा की गई कार्यवाही की सूचना निदेशालय के दूरभाष न0 2225624, 2229858 पर सम्‍पर्क कर आवश्‍यक निर्देश प्राप्‍त करे। प्रभावित क्षेत्र एवं आस पास 5 मील की परिधि मे सर्वे जांच एवं उपचार तथा रोकथाम की कार्यवाही करते हुये निदेशालय मे दैनिक सूचना भिजवाये। रोग के निदान जांच उपचार तथा रोकथाम बाबत् प्रचार प्रसार के माध्‍यम से जन साधारण को जानकारी दी जावे।