टी.बी. की बीमारी क्या है।
टी.बी यानि क्षय रोग एक संक्रामक रोग
है, जो कीटाणु के कारण होता है।
टी.बी. के लक्षण क्या है।
टी.बी.
की जॉंच कहॉं।
-
अगर तीन सप्ताह
से ज्यादा खांसी हो तो नजदीक के सरकारी अस्पताल/
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र , जहॉं बलगम की
जॉंच होती है, वहॉं बलगम के तीन नमूनों की
निःशुल्क जॉंच करायें।
-
टी.बी.
की जॉंच और इलाज सभी सरकारी अस्पतालों में बिल्कुल
मुफ्त किय जाता है।
टी.बी
का उपचार कहॉं।
उपचार
विधिः-
प्रथम दो से तीन माह स्वास्थ्य पर
स्वास्थ्य कर्मी की सीधी देख-रेख में सप्ताह में तीन बार औषधियों का सेवन कराया
जाता है। बाकी के चार -पॉंच माह में रोगी को एक सप्ताह के लिये औषधियॉं दी जाती है
जिसमें से प्रथम खुराक चिकित्साकर्मी के सम्मुख तथा शेष खुराक घर पर
निर्देशानुसार सेवन करने के लिये दी जाती है।
नियमित और पूर्ण अवधि तक उपचार लेने
पर टी.बी. से मुक्ति मिलती है।
बचाव के साधन:-
-
बच्चों को जन्म
से एक माह के अन्दर B.C.G.
का टीका लगवायें।
-
रोगी
खंसते व छींकतें वक्त मुंह पर रूमाल रखें।
-
रोगी
जगह-जगह नहीं थूंके।
-
क्षय
रोग का पूर्ण इलाज ही सबसे बडा बचाव का साधन है।
टी.बी
रोग विशेषकर (85 प्रतशित) फेंफडों को ग्रसित करता है,
15 प्रतिशत केसेज शरीर के अन्य अंग जैसे मस्तिष्क,
आंतें, गुर्दे, हड्डी व जोड इत्यादि भी
रोग से ग्रसित होते हैं।
टी.बी.
का निदान कैसे किया जाये?
टी.बी के निदान (पहचान)
का सबसे कारगर एवं विश्वसनीय तरीका सुक्ष्मदर्शी (माइक्रोस्कोप)
के द्वारा बलगम की जांच करना है क्योंकि इस रोग के
जीवाणु (बेक्ट्रेरिया) सुक्ष्मदर्शी द्वारा आसानी
से देखे जा सकते हैं।
टी.बी
रोग के निदान के लिये एक्स-रे करवाना, बलगम की जॉंच
की अपेक्षा मंहगा तथा कम भरोसेमन्द है, फिर भी कुछ
रोगियों के लिये एक्स-रे व अन्य जॉंच जैसे
FNAC, Biopsy, CT Scan की आवश्यकता
हो सकती है।
क्या
सभी प्रकार के क्षय रोगियों के लिये डोट्स कारगर है?
डॉट्स पद्वति के अन्तर्गत
सभी प्रकार के क्षय रोगियों को तीन समूह में विभाजित
कर (नये धनात्मक गम्भीर रोगी पुरानी व पुनः उपचारित
क्षय रोगी और नये कम गम्भीर रोगी) उपचारित किया जाता
है। सभी प्रकार के क्षय रोगियों का पक्का इलाज डाट्स
पद्वति से सम्भव है।
डॉट्स
के टी.बी. अन्तर्गत टी.बी की चिकित्सा क्या है?
आज ऐसी कारगर शक्तिशाली
औषधियां उपलब्ध है, जिससे टी.बी. का रोग ठीक हो सकता
है परन्तु सामान्यतया रोगी पूर्ण अवधि तक नियमित दवा
का सेवन नहीं करता हे सीधी देख-रेख के द्वारा कम अवधि
चिकित्सा (Directly observed
Treatment Short Course) टी.बी. रोगी को
पूरी तरह से मुक्ति सुनिश्चित करने का सबसे प्रभावशाली
तरीका है। यह विधि स्वास्थ्य संगठन द्वारा विश्वस्तर
पर टी.बी. के नियन्त्रण के लिये अपनाई गई एक विश्वसनीय
विधि है, जिसमें रोगी को एक-दिन छोडकर सप्ताह में तीन
दिन कार्यकर्ता के द्वारा दवाई का सेवन कराया जाता है।
डॉट्स
विधि के अन्तर्गत चिकित्सा के तीन वर्ग है,
प्रथम, द्वितीय, तृतीय प्रत्यके वर्ग में
चिकित्सा का गहन पक्ष(Intensive
Phase) ओर निरन्तर पक्ष (Continuation
Phase) होते हैं। गहन पक्ष (I.P.)
के दौरान विशेष ध्यान रखने की आवश्यकता है तथा यह
सुनिश्चित करना है, कि रोगी, औषधि की प्रत्येक खुराक
स्वास्थ्य कार्यकर्ता, स्वयंसेवक,
सामाजिक कार्यकर्ता, निजी चिकित्सा की सीधी देख-रेख
में लवें निरन्तर पक्ष(C.P.)
में रोगी को हर सप्ताह औषधि की पहली खुराक आपके सम्मुख
लेनी है तथा अन्य दो खुराक रोगी को स्वयं लेनी होगी
अगले सप्ताह का औषधि पैक ( बलस्टर पैक) लेने के लिये
रोगी को पिछले सप्ताह का काम में लिय गया खाली बलस्टर
पैक अपने साथ लाना आवश्यक है।
गहन
पक्ष के दौरान हर दुसरे दिन, सप्ताह में तीन
बार औषधियों का सेवन कराया जाता है। उल्लेखनीय
है कि सप्ताह में तीन दिन की चिकित्या उतनी प्रभावी
है, जितनी प्रतिदिन की चिकित्सा। निर्धारित दिन
पर रोगी चिकित्सालय में नहीं आता है तो यह हमारा (डॉट्स
प्रोवाईडर) उत्तरदायित्व है, कि रोगी को खोजकर
उसको परामर्श, समझाईस द्वारा उस दिन अथवा अगले
दिन औषधि का सेवन करायी जानी चाहिए।
गहन
पक्ष (प्रथम वर्ग के रोगी) की 22 खुराकं और गहन पक्ष
(द्वितीय वर्ग के रोगी) की 34 खुराकं पूरी होने पर रोगी
के बलगम के दो नमूनें जॉंच के लिये लेने चाहिए,
ताकि गहन पक्ष की उसकी सभी खुराकें पूरी होने तक जॉच
के नतीजें उपलब्ध हो सकें यदि बलगम संक्रमित नहीं(Negative)
है ता रोगी को निरन्तर पक्ष की औषधियां देना प्रारम्भ
कर देना चाहिए यदि बलगम में संक्रमण(Positive)
हो तो उपचार देने वाले चिकित्सक को रोगी के गहन पक्ष
की चिकित्सा अवधि को ब्रढा देनी चाहिए।
टी.बी. उपचार
वर्ग |
क्षय रोगी |
सप्ताह में तीन दिन दिये
जाने वाला उपचार समूह |
गहन चरण |
सतत चरण |
1 |
- नये धनात्मक बलगम वाले क्षय रोगी।
- नये ऋणात्मक बलगम वाले क्षय रोगी जो
गम्भरी रूप से फेंफडें क क्षय से ग्रसित है।
- नये फेंफडें के अलावा अन्य अवयवों
के क्षय रोगी जो गम्भीर रूप से पीडित है।
|
2(HRZE)3 |
4(HRZE)3 |
2 |
- पूर्ण उपचार के लिये हुये क्षय रोगी
धनात्मक बलगम वाले रिलेप्स रोगी।
- वर्ग प्रथम व तृतीय के असफल रोगी।
- दो माह या अधिक समय के उपचार
चूककर्ता रोगी।
|
2(HRZE)3
1(HRZE)3 |
5(HRE)3 |
3 |
- नये ऋणात्मक बलगम वाले क्षय रोगी जो
गम्भीर रूप से फेंफडे के क्षय से ग्रसित नहीं हो।
- नये फेंफडें के अलावा अन्य अवयवों
के क्षय रोगी जो गम्भीर रूप से ग्रसित नहीं हों।
|
2(HRZ)3 |
4(HR)3 |
H-आइसोनाइजिड 600
मि.ग्रा. ( 300 मि.ग्रा.- दो गोली)
R- रिफाम्पिसिन 450 मि.ग्रा. (450 मि.ग्रा.-एक केप्सूल)
Z- पायराजिमाइड 600 मि.ग्रा. (700 मि.ग्रा.-दो गोली)
E- ईथाम्ब्यूटोल 600 मि.ग्रा. (600 मि.ग्रा- दो गोली)
S- स्ट्रेप्टोमाइसिन 0.75 ग्राम एक इन्जेक्शन
डोट्स प्रणाली का त्वरित
विस्तार:-
टी.बी. पर प्रभावी
नियन्त्रण के लिये राज्य सरकार कृत सकल्पित है। स्वस्थ
एवं टी.बी. मुक्त राजस्थान के सपने को साकार करने
के उद्वेश्य से उसने एक वर्ष की अल्पावधि (वर्ष 2000)
में सम्पूर्ण प्रदेश में डॉट्स प्रणाली का त्वरित
विस्तार ही नहीं किया बल्कि सेवाओं की गुणवता कायम
रख ग्लोबल टारगेट अर्जित कर विश्व कीर्तिमान स्थापित
किया है।
कार्यक्रम
के अन्तर्गत टी.बी. की जॉंच एवं उपचार, सुविधायें
िनम्न प्रकार उपलब्ध है।
1 |
जिला क्षय नियन्त्रण
केन्द्र |
32 (प्रत्येक जिले में) |
2 |
टी.बी. यूनिट |
143 (सामान्य क्षेत्र में प्रत्येक 5
लाख की आबादी पर, मरूस्थलीय एवं जनजाति क्षेंत्रों में प्रत्येक 2.50 लाख
की आबादी पर) |
3 |
जॉंच केन्द्र
(माइक्रोस्कोपी केन्द्र) |
680 (सामान्य क्षेत्र में
प्रत्येक 5 लाख की आबादी पर, मरूस्थलीय एवं जनजाति क्षेंत्रों में
प्रत्येक 50000 की आबादी) |
4 |
उपचार केन्द्र |
1843 (प्रत्येक 20-30 हजार आबादी पर)
|
5 |
उपकेन्द्र/ ट्रीटमेंट
आब्जर्वेशन पॉइन्ट |
1126 (प्रत्येक 3-5 हजार आबादी पर) |
सार्वजनिक व निजी क्षेत्र की भूमिका:-
क्षय रोग पूरे देश
में व्यापक रूप से फैला हुआ है केवल पचास प्रतशित रोगी
ही सरकारी अस्पतालों से इलाज ले पाते है शेष पचास प्रतशित
निजी चिकित्सकों , नर्सिग होम तथा निजी चिकित्सालयों
के द्वारा उपचारित किये जाते हैं।
निजी
चिकित्सक एवं नर्सिग होम जॅंहा रोगी के निकटतम तथा
सुविधापूर्वक पहुंच में होते हैं, वहीं क्षय रोगियों
का इनमें विश्वास भी गूढ होता है। अतः कार्यक्रम को
व्यापक बनाने तथा उसकी सफलता के लिये इनका कार्यक्रम
से जुडना अतिआवश्यक है। टी.बी. एक रोग ही नहीं बल्कि
हमारे देश में चुनौती भरी सामाजिक, आर्थिक समस्या भी
है, इसलिये इस रोग के नियन्त्रण का कार्य केवल
सरकारी प्रयासों से सफल नहीं हो सकता। हालांकि
राज्य में डॉट्स कार्यक्रम के अन्तर्गत रोगी ठीक होने
की दर(Cure Rate) 85 प्रतशित
से भी अधिक अर्जित करने में सफल रहा है, परन्तु कार्यक्रम
को कायम रखने तथा रोगी खोज दर में वृद्वि करने हेतु
सामुदायिक सहयोग आवश्यक है। गैर सरकारी संगठनों एवं
निजी चिकित्सकों की समाज में प्रतिष्ठा सम्मान,
विश्वसनियता तथा पहूंच है इसलिए कार्यक्रम में गैर
सरकारी संगठनों एवं निजी चिकित्सकों की भागीदारी पर
विशेष बल दिया गया है तथा उनकी भागीदारी के लिए निम्न
आकर्षक योजनाऍं रखी गयी।
गैर
सरकारी संगठनों के लिये योजनाऍ:-
योजना नं. |
नाम |
विवरण |
सहायता |
1 |
स्वास्थ्य शिक्षा व
दुरस्थ इलाकों में जानकारी देना |
सूचना, शिक्षा व संचार
गतिविधियों तथा काय्रक्रम के सम्बन्ध में जागरूकता उत्पन्न करना
|
सामग्री प्रशिक्षण एवं आमुखीकरण हेतु
उपयुक्त एवं उपलब्ध साहित्य |
नकद रू 5000/-10 लाख
जनसंख्या के कवरेज पर |
2 |
सीधी देखरेख में उपचार
(डॉट्स) देना |
गैर सरकारी संगठनों के
कर्मचारी ओर स्वयंसेवकों द्वारा कार्यक्रम के अन्तर्गत रोगी को सीधी
देख-रेख में उपचार (डॉट्स) देना |
प्रशिक्षण एवं आमुखीकरण हेतु उपलब्ध
साहित्य उपचार पर रखे गये रोगियों
के लिये औषधियां
बलगम के नमूनों हेतु आवश्यक प्रपत्र
|
रू 10000/- प्रत्येक 1 लाख
जनसंख्या अथवा इसकी आनुपातिक जनसंख्या के लिये
आवश्यक हो तो रोगी ठीक होने पर 175/- हर
स्वयंसेवक का |
3 |
क्षय रोगी के अस्पताल में
उपचार की व्यवस्था |
आर.एन.टी.सी.पी. की निति के
अनुरूप उपचार दिये जाये तथा निदान और उपचार में कार्यक्रम की निर्धारित
नीतियों का सख्ती से पालन हो |
प्रशिक्षण एवं आमुखीकरण हेतु उपयुक्त
एवं उपलब्ध साहित्य
उपचार पर रखे गये रोगियों के लिये औषधियॉं
आवश्यक प्रपत्र |
रू. 200000/- |
4 |
माइक्रोस्क्रोपी एवं उपचार
केन्द्र |
गैर सरकारी संगठन
माईक्रोस्कोपी एवं उपचार केन्द्र के रूप में काय्र करेगें तथा आर.एन.
टी.सी.पी. की तरह जॉंच उपचार देगें |
उपरोक्तानुसार आवश्यक प्रपत्र क्षय
निरोधक औषधियॉं |
रू. 50000/- |
5 |
टी.बी. यूनिट |
गैर सरकारी संगठनों द्वारा
लगभग 5 लाख पर आर.एन.टी.सी. पी. की मार्गदर्शिका के अनुसार सेवायें उपलब्ध
कराना योजना वहॉं विचारणीय होगी
जहॉं सरकारी सेवायें अपर्याप्त होगी |
क्रियान्वयन एवं प्रशिक्षण के लिये
सामग्री माईक्रोस्क्रापी तथा
लैबोरेट्री के अपग्रेडेशन आदि |
रू. 3,25,500/- |
निजी चिकित्सो
के लिये योजनाऍं:-
योजना नं.
|
नाम |
विवरण |
सहायता |
सामग्री |
नकद |
1 |
रेफरल |
- पी.पी. द्वारा केस रैफर करना या
- रोगी के बलगम क नमूने डी.एम.सी.पर
जॉंच एवं उपचार हेतु भेजना।
|
- बलगम के नमूनों हेतु प्रपत्र
- मांग करने पर बलगम हेतु स्यूटम कप
|
10/- प्रति बलगम नमूना
|
2 |
सीधी देखरेख में उपचार
(डॉट्स) देना |
आर.एन.टी.सी.पी.
मार्गदर्शिका के अनुसार पी.पी. अथवा दुसरे कर्मचारी द्वारा रोगी की सीधी
देख-रेख में उपचार हेतु भेजना। |
- प्रशिक्षण एवं आमुखीकरण हेतु
उपयुक्त एवं उपलब्ध साहित्य
- उपचार पर रखे गये रोगियों के लिये
औषधियॉं
- बलगम हेतु स्यूटम कप
- टी.बी. के उपचार संबंघित प्रपत्र
|
रोगी के उपचार पूर्ण करने
अथवा ठीक होन पर 175/- प्रति रोगी डॉट्स प्रोवाईडर को देवें |
3 ए |
डेजिग्नेटेड पेड
माईक्रोस्क्रोपी केन्द्र माईक्रोस्क्रोपी |
पी.पी.एक अधिकृत
माईक्रोस्क्रोपी केन्द्र के रूप में कार्य कर सकता है। |
- प्रशिक्षण एवं आमुखीकरण हेतु
उपयुक्त एवं उपलब्ध साहित्य
- आवश्यक प्रपत्र एवं लेबोरेट्री
रजिस्टर
|
शून्य |
3 बी |
डेजिग्नेटेड पेड
माईक्रोस्क्रोपी सेन्टर माईक्रोस्क्रोपी एवं उपचार |
3ए योजना वर्णित सेवा क
अतिरिक्त केन्द्र पर रोगियों को उपचार भी देना। |
- उपरोक्तानुसार आवश्यक प्रपत्र
- क्षय निरोधक औषधियॉं
|
स्कीम 2 के अनुसार
|
4 ए |
डेजिग्नेटेड
माईक्रोस्क्रोपी -सेन्टर सिर्फ माईक्रोस्क्रोपी |
उपरोक्त केन्द्र
आर.एन.टी.सी.पी. के अन्तर्गत माईक्रोस्क्रोपी सेवायें देने के लिये
अधिकृत लेकिन रोगियों से ए.एफ.बी. माईक्रोस्क्रोपी हेतु शुल्क नहीं लिया
जायेगा। |
लैबोरेट्री की सामग्री
|
15/- रू प्रति बलगम जॉंच
|
4 बी |
डेजिग्नेटेड पेड
माईक्रोस्क्रोपी सेन्टर माईक्रोस्क्रोपी एवं उपचार |
4 ए में वर्णित कार्यो के
अन्तर्गत रोगियों का उपचार सेवायें भी उपलब्ध करायेगें। |
- उक्तानुसार
- रोगियों के लिये औषधियॉं
|
15/- रू प्रति बलगम जॉंच
|
|