नशे की लत की पहचान

विभिन्‍न प्रकार के नशीले प्रदार्थो का व्‍यसन  करने वाले लोगों की पहचान करना आवश्‍यक है ताकि स्‍वयं को तथा परिवार समाज को दुष्‍प्रभाव से बचाया जा सकें। कुछ विन्‍दुओं को ध्‍यान में रखने पर व्‍यसन को प्रारंभिक अवस्‍था में ही पहचाना जा सकता है।

  • सप्‍ताह में चार या अधिक दिनों तक नशीले द्रव्‍यों का सेवन।

  • नशीले प्रदार्थ के सेवन की मात्रा में वृद्वि।

  • निश्चित प्रदार्थ को नहीं लेने पर शारीरिक व मानसिक कष्‍ट व पुनः लेने की तीव्र इच्‍छा।

  • जेबखर्च में बढोतरी अथवा घर से कीमती सामान गायब होने लगना।

  • व्‍यवहार में परिवर्तन-कार्य में अरूचि,  अनुपस्थिति, खेलकूद  में अरूचि, अन्‍तर्मुखी हो जाना विद्यालय या कॉलेज में अनुपस्थिति या वहॉं से भाग जाना घर के लोगों के प्रति उदासीन हो जाना तथा स्‍थान पर लम्‍बे समय तक बैठे रहना एवं अधिक गुस्‍सैल व झगडालू हो जाना।

  • विद्यार्थियों में पढाई  में अरूचि, पढाई का स्‍तर कम हो जाना, घर में पढते समय एक ही पृष्‍ठ लम्‍बे समय पर खुला रहना।

  • नयें-नयें मित्रों का निश्चित समय पर घर आना-अधिक खर्च की मॉंग व पैसा नहीं मिलने पर उतेजित व आक्रामक हो जाना।

  • शराब की गंध छिपाने के लिये सुगंधित प्रदार्थो को चबाते रहना (गुटका, पराग, बहार इत्‍यादि)।

  • चाल में लडखडाहट, बोलने में तुतलाहट अथवा हकलाहट आ जाना।

  • जीवन शैली में परिवर्तन आ जाना,  निद्रा में अनियमितता, स्‍नान आदि नहीं करना, भूख कम लगना।

  • शरीर व बॉंहों पर इंजेक्शन के ताजा निशान अथवा सूजन।

  • आंखों का लाला हो जाना, आंखे बुझी सी रहना, आंखों के नीचे सूजन व आंख की पुतली सुंई की नोक की तरह सिकूड जाना, घर में शयन कक्ष अथवा स्‍नानघर में इंजेक्शन की खाली सिरिंज, सिगरेट के ऊपर वाली एल्‍यूमिनियम की पतली कागज जैसी फाइल का व पतली प्‍लास्टिक की पाइप व धुंये के काले निशान वाले सिक्‍के का मिलना।

  • वाहन चलाते समय बार-बार दुर्घटना होना।

  • अपराध प्रवृति बढ जाना, जुर्म के लिये पुलिस द्वारा पकडा जाना।

  • स्‍वभाव में अचानक परिवर्तन आ जाना, झूंठ बोलना, उधार लेना, चोरी करना व आसामाजिक गतिविधियों में लिप्‍त हो जाना।

उपरोक्‍त बिन्‍दुओं को ध्‍यान में रखने से यह आसान हो जाता है कि हम सन्‍देह करें कि व्‍यक्ति मादक द्रव्‍यों का व्‍यसनी तो नहीं बन रहा है। इस व्‍यक्ति को कम से कम तीन दिन सख्‍त पहरे में घर में रखकर देखा जा सकता है। व्‍यसन बन्‍द करने के परिणाम स्‍वरूप होने वाले शारीरिक व मानसिक लक्षणों के पाये जाने अथवा खून व मूत्र की जांच द्वारा निदान निश्चित हो जाता है।